दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
अंधेरा हर तरफ और मैं दीपक की तरह जलता रहा।
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
मैंने कहा, नहीं दिल में एक बेवफा की तस्वीर बसी है,
कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले,
क़यामत देखनी हो अगर चले जाना किसी महफ़िल में,
खुदा माना, आप न माने, वो लम्हे गए यूँ ठहर से,
सौदा करते हैं लोग यहाँ एहसासों के बदले,
चेहरा तेरा चाँद का टुकड़ा सारे जहाँ से प्यारा है।
हुजूर लाज़िमी है महफिलों में बवाल होना,
जर्रे-जर्रे में वो है और कतरे-कतरे में shayari in hindi तुम।
कुछ बदल जाते हैं, कुछ मजबूर हो जाते हैं,
नजर तुमसे जो मिल जाये ज़माना भूल जाता हूँ।